सतभक्ति के अभाव में नास्तिकता की ओर अग्रसर समाज

प्रतिदिन जब हम सुबह उठते हैं तो सबकी जीवनदायिनी प्रकृति अनवरत चलती रहती हैं अब इसको कोई इंसान तो चला नही रहा, कोई शक्ति तो हैं जिसके नियंत्रण से इसका संचालन हो रहा है जैसे वैज्ञानिक कोई  उपग्रह अंतरिक्ष मे छोड़ते हैं तो स्वयं तो उसके साथ नही जाते परन्तु नीचे से ही उस उपग्रह का संचालन करते हैं उसी प्रकार इस सृष्टि का संचालन उस दिव्य शक्ति के हाथ मे हैं।
वर्तमान में अधिकतर मानव ने उस परम शक्ति के वर्चस्व को स्वीकार करने से मना कर दिया उनका मानना है कि आदि शक्ति या दिव्य शक्ति जैसी कोई चीज नही है इंसान ही सबकुछ हैं और वही भगवान हैं इस तरह के सिद्धांत से उस ईश्वर को नकारने से एक धारणा बन गयी और वो है :-नास्तिकता।
नास्तिकता ऐसी धारणा हैं जिसने इंसान को उस परमेश्वर से दूर कर दिया और यह सब कुछ अज्ञानी गुरुओ की वजह से जिनको सतभक्ति का ज्ञान नही था जिससे कोई आध्यात्मिक लाभ नही होने से मानव इस नास्तिकता के चंगुल में फंसता चला गया।
आज इस नास्तिकता के प्रसार में सबसे बड़ा योगदान के बारे में कहा जाए तो वो है बौद्ध धर्म के प्रवर्तक:- 
गौतम बौद्ध
इन्होंने भगवान की खोज में सतगुरु के बिना शाश्त्र विरुद्ध घोर तप किये जिनसे कोई लाभ नही होना था और इस वजह से इनको कोई आध्यात्मिक लाभ नही मिला।
जिससे इन्होंने समाज को एक नई धारणा दी कि कोई ईश्वर नही है एक मनुष्य ही सब कुछ है।
और यह बात कहने में कोई अतिश्योक्ति नही होगी कि गौतम बौद्ध की वजह से ही आज विश्व मे नास्तिकता का प्रसार हुआ वही दूसरी तरफ अज्ञानी धर्मगुरुओं की बतायी शास्त्र विरुद्ध साधना ने भी इस धारणा को बल दिया है।
भक्ति-युग की राह में इस नास्तिकता को समाप्त करने के लिए एक आशा की किरण भी उस परम शक्ति ने मानव समाज को दी है और वो है:-
 Saint Rampal Ji Maharaj.
वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व मे संत रामपाल जी महाराज ही ऐसे संत हैं जो सभी धार्मिक सतग्रन्थों के आधार पर सतभक्ति बता रहे हैं और सतभक्ति के प्रभाव से लाखों लोग सुखी जीवन यापन कर रहे हैं। उनके द्वारा बताई सतभक्ति से समाज मे एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक क्रांति आ रही हैं जो इस नास्तिकता की जड़ को समाप्त कर देगी। अधिक जानकारी के लिये
अवश्य देखे साधना टीवी शाम 7:30 बजे

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