*संतो की शिक्षा* संतो की जन्मभूमि हिंदुस्तान ने प्राचीन काल से ही विश्व गुरु का ताज अपने सिर पर सुशोभित कर रखा है क्योंकि यहाँ पर अनेक साधु-संत, समाज-सुधारकों ने अपने मार्गदर्शन से अंधविश्वास औऱ कुरीतियों के दलदल में फंसे हुए मानव समाज को एक नई दिशा दी है जिससे उन्होंने अपना नारकीय जीवन से मुक्ति पाकर अपना सुखमय जीवन व्यतीत किया इनके अंतर्गत संत नानक जी, sant kabir जी, दादूदयाल जी, घीसादास जी अनेक संत हुए जिन्होंने तत्कालीन धर्म गुरुओं द्वारा चलाई जा रहे पाखंडवाद से संघर्ष करके भोली जनता को सच्चाई से अवगत कराया। जीवन मे संतो का प्रभाव आज जिसको भी यह मानव शरीर भगवान ने अनमोल तोहफे के रूप में दिया हैं उसका फर्ज़ बनता है कि इसको व्यर्थ में न गवाएं। क्योंकि बहुत पुण्य कर्मों के प्रतिफल में यह मानव जीवन मिलता हैं। इस मानव जीवन मे एक पूर्ण संत का मिलना भी बहुत आवश्यक है क्योंकि जैसे एक बाग को सींचने के लिए एक माली की जरूरत होती है उसी प्रकार इस जीवन को सफल बनाने के लिए भी एक पुर्ण संत की आवश्यकता है क्योंकि
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